भारत के 5 पवित्र सरोवर, जहां स्नान करने से मिलती है मोक्ष
26 Jul 2017,
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प्राचीन काल की ऐसी कई निशानियां आज भी मौजूद हैं। जिनका रिश्ता देवी-देवताओं या ऋषि-मुनियों से माना जाता है। आज हम आपको अपनी खबर में ऐसे ही सरोवरों के बारें में बता रहे है। जिनका हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। माना जाता है कि यह सरोवर कोई आम सरोवर नहीं। बल्कि यहां स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह पवित्र स्थल आज के समय में पर्यटन का केंद्र बन गए है। जानिए इन पवित्र सरोवरों के बारें में। कैलाश मानसरोवर यह सबसे पवित्र मानसरोवर मानी जाती है। इस समय ये चीन के आधीन है। इस सरोवर को देवताओं की झील कहा जाता है। इसे शिव का धाम माना जाता है। मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर भगवान शिव साक्षात विराजमान हैं। यह हिन्दुओं के लिए प्रमुख तीर्थस्थल है। इस सरोवर के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर माता पार्वती स्नान करती हैं। यहां देवी सती के शरीर का दायां हाथ गिरा था इसलिए यहां एक पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा जाता है। यहां शक्तिपीठ है। नारायण सरोवर नारायण सरोवर का संबंध भगवान विष्णु से है। यहां सिंधु नदी का सागर से संगम होता है। इसी संगम के तट पर पवित्र नारायण सरोवर है। पवित्र नारायण सरोवर के तट पर भगवान आदिनारायण का प्राचीन और भव्य मंदिर है। नारायण सरोवर से 4 किमी दूर कोटेश्वर शिव मंदिर है। गुजरात के कच्छ जिले के लखपत तहसील में स्थित यह सरोवर भगवान का विष्णु का सरोवर माना जाता है। मान्यता है कि इस सरोवर में स्वयं भगवान विष्णु ने स्नान किया था। कई पुराणों और ग्रंथों में इस सरोवर के महत्व का वर्णन पाया जाता है। यहां सिंधु नदी का सागर से संगम होता है। पुष्कर सरोवर राजस्थान में अजमेर शहर से 14 किलोमीटर दूर पुष्कर झील है। दुनिया का इकलौता ब्रह्माजी का मंदिर यहीं पर बना है। पुराणों में इसके बारे में विस्तार से उल्लेख मिलता है। यह कई प्राचीन ऋषियों की तपोभूमि भी रहा है। यहां विश्व का प्रसिद्ध पुष्कर मेला लगता है, जहां देश-विदेश से लोग आते हैं। पुष्कर की गणना पंच तीर्थों में भी की गई है। पुष्कर के उद्भव का वर्णन पद्मपुराण में मिलता है। कहा जाता है कि ब्रह्मा ने यहां आकर यज्ञ किया था। पुष्कर का उल्लेख रामायण में भी हुआ है। विश्वामित्र के यहां तप करने की बात कही गई है। इस सरोवर को लेकर एक यह मान्यता भी प्रचलित है कि भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध भी यहीं पर किए थे। झील की उत्पत्ति के बारे में किंवदंती है कि ब्रह्माजी के हाथ से यहीं पर कमल पुष्प गिरने से जल प्रस्फुटित हुआ जिससे इस झील का उद्भव हुआ। यह मान्यता भी है कि इस झील में डुबकी लगाने से पापों का नाश होता है। झील के चारों ओर 52 घाट व अनेक मंदिर बने हैं। इनमें गऊघाट, वराहघाट, ब्रह्मघाट, जयपुर घाट प्रमुख हैं। पंपा सरोवर पंपा सरोवर के निकट पश्चिम में पर्वत के ऊपर कई जीर्ण-शीर्ण मंदिर दिखाई पड़ते हैं। यहीं पर एक पर्वत है, जहां एक गुफा है जिससे शबरी की गुफा कहा जाता है। माना जाता है कि वास्तव में रामायण में वर्णित विशाल पंपा सरोवर यही है, जो आजकल हास्पेट नामक कस्बे में स्थित है। हंपी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन किष्किंधा माना जाता है। तुंगभद्रा नदी को पार करने पर अनेगुंदी जाते समय मुख्य मार्ग से कुछ हटकर बाईं ओर पश्चिम दिशा में पंपा सरोवर स्थित है। यहीं पर एक पर्वत है, जहां एक गुफा है जिससे शबरी की गुफा कहा जाता है। कहते हैं इसी गुफा में शबरी ने भगवान राम को बेर खिलाएं थें। माना जाता है कि वास्तव में रामायण में वर्णित विशाल पंपा सरोवर यही है। बिंदु सरोवर यह सरोवर 5 में से 1 मानी जाती है, जो कपिलजी के पिता कर्मद ऋषि का आश्रम था और इस स्थान पर कर्मद ऋषि ने 10,000 वर्ष तक तप किया था। कपिलजी का आश्रम सरस्वती नदी के तट पर बिंदु सरोवर सरस्वती नदी के तट पर बिंदु सरोवर पर था, जो द्वापर का तीर्थ तो था ही आज भी तीर्थ है। कपिल मुनि सांख्य दर्शन के प्रणेता और भगवान विष्णु के अवतार हैं।